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नयी भोर का स्वागत
 
 
शैम्पेन के साथ
सो गया
ग्यारह उनसठ का चीयर-अप
बुझी अलावों के जिम्मे है
ठिठुरी
नई भोर का स्वागत!

अभी भोर में काफी हद तक
पिछली रातों के साये हैं
महज सामने राजपुरोहित
का पत्रा है,गणनाये हैं

लेखाकारों का बाकी है
लिखना;
कमी-मुनाफा लागत!

मैसेंजर में ऊँघ रहीं हैं
शुभकामी संदेश शिरायें
बहुत दूर तक फैल चुकी हैं
परजीवी अवसाद लतायें

सिकुड़ रहे अपनेपन की हद,
सब कुछ से अब
सब हैं अवगत!

गतिक हो उठी हैं कुण्ठायें
छूट रहा संयम कतार में
ले आए विध्वंस परीक्षण
अब सबको सबके रडार में

भारीपन बो रही बैंठकें
'स्टैचू'
हँसते हुए तथागत!

- शुभम् श्रीवास्तव ओम  
१ जनवरी २०१८

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