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चिराग जादुई
 
 
मुझको मिले चिराग जादुई
मैं भी मन की कुछ कर पाऊँ
नये वर्ष में नयी रीत से
आने वाला वर्ष मनाऊँ।

घिसूँ चिराग जिन्न जो आए
भेदभाव और द्वेष मिटाए
रंगे प्रेम से कोना कोना
मैं भी उस रंग में रंग जाऊँ

स्वच्छ पवन हो निर्मल पानी
हरियाली हो सुखद सुहानी
पुष्पित पल्लवित बगिया महके
जग में कुछ रंग मैं भर पाऊँ

दूर बसे जेा जो अपने है
जिनसे मिलने के सपने हैं
वो सब मेरे संग आ जाएँ
मन भर उन संग नाचूँ गाऊँ

बचपन जो खो गया कहीं है
पर मन है कि बसा वहीं है
दूर चाँद सा ललचाता है
नटखट बचपन फिर पा जाऊँ

जो पाना था न मिल पाया
कर प्रयास जो जीत न पाया
वो सब कुछ मिल जाए मुझको
आसमान पर चढ़ती जाऊँ

जिनसे मैने मुंह था मोड़ा
कभी न उनसे नाता जोड़ा
शिकवे गिले भूल के सारे
उन सब से भी प्रीत निभाऊँ

है न कुछ तेरा न कुछ मेरा
ये जीवन है रैन बसेरा
काश कि समझूँ यह सच्चाई
परम पिता से लगन लगाऊँ

- अलका प्रमोद    
१ जनवरी २०१८

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