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नए वर्ष में
 
नये वर्ष में लगता है अब
खुद को भी समझाना होगा

कर जय पराजय की समीक्षा
क्या कमीं क्या क्या प्रबल है
तूने जो खोया या पाया
तेरे कर्मों का ही फल है
पूर्व की उनसब गलतियों को
फिर से ना दुहराना होगा
खुद को भी समझाना होगा।

अपने मन की करता है बस
क्या तूने सोचा है क्षण भर
अनायास ही भाग रहा है
अब यहाँ वहाँ किस ओर किधर
पहले यह निश्चय करना है
तुमको जिस पथ जाना होगा
खुद को भी समझाना होगा।

कर्महीन बस कर मलता है
बिना किए क्या कुछ मिलता है
मंज़िल उनको ही मिलती जो
बिना डरे चलता रहता है
इक ऐसा उद्देश्य बनाओ
खुद को प्रबल बनाना होगा
खुद को भी समझाना होगा।

- रामशिरोमणि पाठक    
१ जनवरी २०१८

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