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गाँव में नव बरस
 
 
ओढ़ चादर कहरे की
गाँव में नव बरस आया

एक गौरैया घरों में
दे रही शुभकामनाएँ
भोर की शीतल पवन भी
गा रही है सांय सांय
झाँकती है धूप रह रह
घर, गली में हरष छाया

एक मोती ओस का, जो
दूब पर ठहरा हुआ है
एक मुठ्ठी धूप का
जिस पर घना पहरा हुआ है
धुंध में जो, जा रहा है
गीत उसने सरस गाया

- पवन प्रताप सिंह 'पवन' 
१ जनवरी २०१८

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