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नये साल में
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मन उमंग हो
साथ-संग हो
लिखें आओ न हम सब
नयी रीत, नये साल में
हरियर डोरी आशाओं की
उम्मीदों के ललछौं मनके
गूँथ नवल सपनों की माला
भोर नवेली ने पग रक्खे
राग-बसंती
धुन सतरंगी
रचें आओ न हम सब
नये गीत, नये साल में
भेद तिमिर अशिक्षा का गहरा
चलो ज्ञान का दीप जलाएँ
सबकी थाली में रोटी हो
आओ ऐसी जुगत लगाएँ
सुबह सुनहरी
जीवन पथ की
गढ़े आओ न हमसब
नयी जीत, नये साल में
नवसंचित कलियों के जैसे
महके चहके हैं पल छिन
बाँह पसारे खड़े राह में
ख़ुशी सहेजे उत्सव से दिन
द्वेष भुला के
प्रेम भाव से
चुने आओ न हम सब
मीत-प्रीत, नये साल में
- आभा खरे
१ जनवरी २०१८ |
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