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नये वर्ष की यही दुआएँ
 
बंधु, हमारी
नये वर्ष की यही दुआएँ

शाहों को सन्मति दे मौला
परजा के सब कष्ट दूर हों
बरकत हो घर में - आपस में
नेह-प्यार के फिर शऊर हों

रामराज की बातें
सब जन सुनें-सुनाएँ

अपनी माटी रहे उर्वरा
नहीं संपदा हो उधार की
सारी धरती एक कुटुम हो
मति-गति होवे सदाचार की

भरे रहें घर -
प्रभुजी काटें सब विपदाएँ

सपना देखा था पुरखों ने
कोई रहे न भूखा-नंगा
जात-धरम है एक मनुज का
सोच यही हो - मन हो चंगा

कभी न व्यापें
पिछले युग की हमें बलाएँ

- कुमार रवीन्द्र      
१ जनवरी २०१८

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