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नव वर्ष मंगलमय सभी को
 
छोड़कर आग्रह-दुराग्रह
तोड़कर पूर्वाग्रहों को
बाँह फैलाकर कहें
नववर्ष मंगलमय सभी को

शुद्ध वत्सल खिलखिलाहट
गूँजकर वातावरण में
विश्व के हर एक कोने को
रहे करती तरंगित
हर तरफ सौहार्द के भी
फूल महकें गन्ध ले यों
जो कहीं आतंक से
वसुधा न हो पाये कलंकित

गुनगुनाते ही रहें यों गीत
सब समवेत स्वर में
मुक्त थिरकन से मिले,
उल्लास,मादक-लय सभी को

रह नहीं जायें सिमट,
देशांतर संवेदना के
प्रेम के, परिहास के
उत्फुल्ल हो गूँजें ठहाके
निष्कलुष करुणा बहे
विश्वास की विजयन्त होकर
आस्था में स्वर मिलें
अपनत्व की हर भंगिमा के

पंछियों की तरह चहके
मुक्त कलरव इस धरा पर
हवा सहलाती रहे
सम-भाव से अक्षय सभी को

- जगदीश पंकज     
१ जनवरी २०१८

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