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शुभ-कामना
गीत
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अर्घ्य, आचमन, सुमिरन, पूजन,
स्वागत, अर्चन, चंदन, वंदन।
नये वर्ष के प्रथम दिवस में
आने वाले पल के रस में
शुचिता भर व्यवहार आचरित
पड़े सुनाई कहीं न क्रन्दन।
नया दिवस क्या नया साल क्या
धुला हुआ निकला रुमाल क्या
भारतीय हम करते ही हैं
द्वारे आए का अभिनन्दन।
रोजगार की चाह हाथ को
निष्ठा भर विश्वास साथ को
जीवन रक्षण हर किसान का
लेती नहीं व्यवस्था यह प्रण।
बढ़ता हुआ गुरूर दिखा है
चढ़ता हुआ शुरूर दिखा है
जो मंचों की ओर खड़े हैं
ये सब शिखरों के ही हैं गण।
उम्मीदों के जो रखवाले
उनने बंदी किए उजाले
पलती हुई आग अन्तस में
लेकर जीता है जनगण मन।
रोज सुबह स्वागत सूरज का
माथे पर टीका लें रज का
नये साल का और आपका
बाहें फैलाकर अभिनंदन।
- राजा अवस्थी
१ जनवरी २०१८ |
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