यह जुदा इक मसअला है
यह जुदा इक मसअला है आप ही सुलझाइए
हर आईने में अलग चेहरा दिखे, समझाइए
पत्थरों को भी जो आईनों के माफिक तोड़ दे
इतनी क़ुव्वत रख सके इक ऐसा पत्थर लाइए
पत्थरों की क्या ख़ता उनका तो पत्थर नाम है
आईने भी पत्थरों से गिर रहे, बतलाइए
पत्थरों की मार से महफूज़ रहने के लिए
मंदिरों में पत्थर अपने नाम के लगवाइए
हैसियत देखे बिना बेख़ौफ़ पत्थर मारना
आपके बस का नहीं, बच्चा कोई बुलवाइए
आईने में सज रहे हैं ख्वाब नाजु़क उम्र के
असलियत के पत्थरों से उनको मत चटखाइए
२५ जनवरी २०१०
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