क्यों करते हैं मेहनत
क्यों करते हैं मेहनत ये नीयत पता हो
बीमारों की असली तबीयत पता हो
तुम्हे गर मेरे सच की जुर्रत पता हो
तो आएगी किस दिन क़यामत पता हो
पिता सर पे, पलकों पे माँ को रखेंगे
बशर्ते कि उनकी वसीयत पता हो
क्या तोड़ोगे आईना, कुचलोगे चेहरा?
करोगे भी क्या गर हक़ीकत पता हो
वो इज़हारे-उल्फ़त सँभलकर करें, गर
जो है होने वाली वो ज़िल्लत पता हो
१८ मई २००९ |