सोचना
ओस की बूँदों में ठहरी ज़िंदगी को सोचना
और फिर बहती नदी की गंदगी को सोचना
अश्क पी कर भी तनी गरदन की बाबत सोच कर
खून पी कर सर झुकाती बंदगी को सोचना
खाट पर पसरी हुई मेहमान अंग्रेज़ी के साथ
अपने घर में हिंदी की लाचारगी को सोचना
दुश्मनों के खौफ़ से पीछा छुड़ाना हो अगर
दोस्तों में कुलबुलाती दुश्मनी को सोचना
जिस घड़ी मन कृष्ण जैसी रासलीलाएँ रचे
उस घड़ी इक पल ठहर कर द्रौपदी को सोचना
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