उसे अपने दिल में
उसे अपने दिल में बसाओगे कैसे
हवाओं को कै़दी बनाओगे कैसे
नई शक्लो-सूरत तो ले आओगे तुम
मगर खुद को खुद से छुपाओगे कैसे
जो पत्थर भी होते तो उम्मीद होती
मगर आदमी को रुलाओगे कैसे
जो कल बात तुमने छुपाई थी मुझसे
वही आज मुझको बताओगे कैसे
ज़हर जिसको छू के हुआ पानी-पानी
उसे मौत से तुम डराओगे कैसे
२५ जनवरी २०१०
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