बाबा
जिस समाज में कहना मुश्किल है बाबा
उस समाज में रहना मुश्किल है बाबा
तुम्हीं हवा के संग उड़ो पत्तों की तरह
मेरे लिए तो बहना मुश्किल है बाबा
जिस गरदन में फँसी हुई हों आवाज़ें
उस गरदन में गहना मुश्किल है बाबा
भीड़ हटे तो हम भी देखें सच का बदन
भीड़ को तुमने पहना, मुश्किल है बाबा
अंधी श्रद्धा को, भेड़ों को, तोतों को
गर विवेक हो, सहना मुश्किल है बाबा
गिरें, उठें, फिर चलें कि चलते ही जाएँ
रुके, सड़े तो सहना मुश्किल है बाबा
1 जुलाई 2006
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