हमारी किताबों में हमारी
औरतें
औरतें खुश हो जाएँ
आख़िर हमने ढूँढ़ ही निकाला
पवित्र किताब की पृष्ठ-संख्या इतने के
उतने वे लोक में लिखा है
औरतों को दिए जाने चाहिए अधिकार और न्याय
मगर ज़रा ठहरो
यह तो हमने देखा ही नहीं कि
औरतों को अपनी मनपसंद चीज़ें मिलने पर
खुश होने के लिए
पवित्र किताब में लिखा है कि नहीं
बहरहाल
जिन औरतों को चाहिए अधिकार और न्याय
वे अपने जीवन और चिंतन
अपने समय और समझ
अपने संसार और सपनों
अपने अनुभवों और अरमानों
को आले में रखकर
चली आएँ
पवित्र किताब की पृष्ठ संख्या इतने की
पंक्ति-संख्या उतनी में
और ज़रा लाइन लगा लें
ठीक से
व्यवस्था बनाएँ रखें
जो भरमाती हैं, घबराती हैं
निकल नहीं सकती खुद घर से
वो अपने भाइयों, बापों, पतियों
या पड़ोसी पुरुषों को भेज दें
हम आज सभी को देंगे अधिकार और न्याय
(जो नहीं लेंगी हमसे न्याय- उनके किसी अंजाम के हम नहीं होंगे ज़िम्मेवार- या हम ही
होंगे ज़िम्मेवार)
हम तो हैं ही दाता
अपने बराबर ही देंगे तुम्हें भी
शुकर करो और प्रार्थना करो कि
हमारी दान देने की योग्यता और विनम्रता
ऐसे ही बनी रहे
और तुम्हें कभी कोई परेशानी न आए
माँगने और पाने में
(तुम माँगती रहो हम देते रहें)
हम क्यों करेंगे भेद
हमारी ही तो है औरतें
हमारी ही हैं किताबें भी
माना कि
दीमकों की खाई
धूल में अटी
जालों में लिपटी किताबों में
पता लगाना मुश्किल है कि
दीमकें, धूल और जाले
भीतर से बाहर आए हैं
या बाहर से अंदर गए हैं
मगर फिर भी बहुत जगह है इनके अंदर
और औरतों
तुम तो बिलकुल निश्चिंत रहो
तुम्हारे लिए तो कुछ शब्द ही काफ़ी हैं
एक श्लोक, एक आयत, एक वाक्य
भारी है
तुम्हारे सारे जीवन, सारे अस्तित्व, सारे व्यक्तित्व, सारे विचारों पर
फिर हम भी तो हैं तुम्हारे साथ
सही-सही तौलकर न्याय करेंगे
तराज़ू तो हमारे ही हाथ है
एक पलड़े में हैं
पवित्र किताब के दो शब्द
दूसरे में दुनिया की सारी औरतें
आओ और तुल जाओ
जैसे-जैसे मिलते जाएँगे किताबों में
वैसे-वैसे हम देते जाएँगे
तुम्हे तुम्हारे अधिकार
पहले नहीं मिले थे तो नहीं दिए थे
अब मिल गए हैं तो दे दिए हैं
मगर ज़रा ध्यान रखना
किताब से बाहर मत निकलना
बल्कि किताब में जो-जो पृष्ठ हमने बताए हैं
उनसे भी नहीं
किताब में रख दिया गया है वह सभी कुछ
जो तुम्हारे लिए उचित समझा गया है
इसके अलावा
आगे भी जो कुछ उचित समझा जाएगा
पहुँचा दिया जाएगा किताब ही में
किताब में साँस लेना
किताब में से आसमान देखना
किताब में स्वतंत्रता से रहना
(किताब में लिखा है कि तुम्हारे लिए कितने फुट कितने इंच स्वतंत्रता ठीक रहेगी)
फिर एक दिन
किताब में ही मोक्ष को प्राप्त हो जाना
तुम्हारी सहूलियत के लिए हम
प्राचीन आसमानी ग्रंथकारों के
आधुनिक ज़मीनी अवतारों से
सिफ़ारिश भी कर देंगे कि
क़िताब कोई अच्छा-सा नाम भी दे दें
जैसे कि जीवन
अब तो खुश हो ना औरतों!
हमारी किताबों के हवाले से
हमारी औरतों से
हमें बस यही कहना है
9 मार्च 2005
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