दर्द को
इतना जिया दर्द को इतना जिया कि दर्द मुझसे डर गया
और फिर हँसकर के बोला यार मैं तो मर गया।
इस सदी की आस्था को देखकर मैं डर गया
बच्चे प्यासे मर गए और दूध पी पत्थर गया।
माना अमृत हो गया दो दिन समंदर का बदन
उस ज़हर का क्या करें जो आदमी में भर गया।
हिंदू भी नाराज़ मुझसे मुसलमाँ भी हैं खफ़ा
हो के इंसाँ, यार मेरे, जीते-जी मैं मर गया।
9 अप्रैल 2007
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