मौत की वीरानियों में
मौत की वीरानियों में ज़िंदगी बन कर रहा
वो खुदाओं के शहर में आदमी बन कर रहा
ज़िंदगी से दोस्ती का ये सिला उसको मिला
ज़िंदगी भर दोस्तों में अजनबी बन कर रहा
उसकी दुनिया का अंधेरा सोच कर तो देखिए
वो जो अंधों की गली में रोशनी बन कर रहा
सनसनी के सौदेबाज़ों से लड़ा जो उम्र-भर
हश्र ये खुद एक दिन वो सनसनी बन कर रहा
एक अंधी दौड़ की अगुआई को बेचैन सब
जब तलक बीनाई थी मैं आख़िरी बन कर रहा
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