तुम देखना
तुम देखना पुरानी वो चाल फिर चलेंगे
जिससे जिना करेंगे उसको ही सज़ा देंगे
इक बेतुकी रवायत ऊपर से उनकी फ़ितरत
तकलीफ़ भी वो देंगे, बदला भी वही लेंगे
वरना वो तुझको हँसके कमज़ोर ही करेंगे
उनपर ज़रूर हँसना जो आदतन हँसेंगे
जब आएगी मुसीबत टीवी के शहर वाले
झाँकेंगें खिड़कियों से घर से नहीं निकलेंगे
ये शेर क्या हैं प्यारे, सब भर्ती का सामाँ
हैं
गर पाँच नहीं होंगे तो कैसे ये छपेंगे
वो ही हैं नूर वाले जो अक्ल के हैं अंधे
जलवा भी वही लेंगे फतवा भी वही देंगे
1 जुलाई 2006
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