दासी बना के
दासी बना के मारा देवी बना के मारा
औरत को यार तुमने कैसा चढ़ा के मारा।
सदियों से साज़िशों पर भी दाद दे रही है
औरत को यार तुमने कैसी कला से मारा।
की खुदकुशी सती ने, तुमने मनाई खुशियाँ
फिर मर चुकी को तुमने, मंदिर बना के मारा।
मर्ज़ी न उसकी पूछी, कर दी कहीं भी शादी
सौ बार तुमने उसको बेटी बना के मारा।
प्रियतम दहेज-भूखा, प्यासी हैं सास-ननदें
इस बार यों समझिए औरत ने खुद को मारा।
मक्कारियों पे मर गई मजबूरियाँ समझकर
औरत को तुमने कैसी क़ातिल अदा से मारा।
9 अप्रैल 2007
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