झूठ पहनकर
झूठ पहनकर कितने अच्छे लगते हो
कपड़ों के अंदर से नंगे दिखते हो
गलियाना बाज़ार को भी अब पेशा है
बाद में गलियाते हो, पहले बिकते हो
झूठ, ढिठाई, तानाशाही, गाली, गंुडे-
इतनी बैसाखी, पर बहस से डरते हो !
लगता है फ़िर आज किसी ने धोया है
टंगे-टंगे से, निचुड़े-निचुड़े लगते हो
अपने-आप से हार चुके हो, इसी लिए
बेध्यानी में ध्यान की बातें करते हो
झूठी जीत से झूठी ख़ुशियां पाते हो
औरों को कम, ख़ुदको ज़्यादा ठगते हो
अभी तुम्हारा कर्ज़ लदा है सीने पर
अदा करुंगा, बचकर कहाँ निकलते हो
२० सितंबर २०१०
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