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धूप वाले
दिन |
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शीत ने कितने चुभोए
कोहरे के पिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन
ठुमकती फिरती वसंती हवा
उपवन में,
गीत गातीं कोयलें
मदमस्त मधुबन में
फूल पर मधुमास करता नृत्य
ता धिन-धिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन
पीतवसना घूमती सरसों
लगा पाँखें,
मस्त अलसी की लजाती
नीलमणि आँखें।
ताल में धर पाँव
उतरे चाँदनी पल छिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन
दूर वंशी के स्वरों में
गूँजता कानन,
वर्जना टूटी
खिला सौ चाह का आनन।
श्याम को श्यामा पुकारे
साँस भर गिन-गिन
अलगनी पर टँक गए
लो, धूपवाले दिन
- देवव्रत जोशी
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इस माह
ग्रीष्म ऋतु के स्वागत में
महोत्सव मनाएँगे
और पूरे माह हर रोज एक नया
ग्रीष्म गीत मुखपृष्ठ पर सजाएँगे।
रचनाकारों और पाठकों से आग्रह है
आप भी आएँ
अपनी उपस्थिति से
उत्सव को सफल बनाएँ
तो देर किस बात की
अपनी रचनाएँ प्रकाशित करना शुरू करें
कहीं देर न हो जाय
और ग्रीष्म का यह उत्सव
आपकी रचना के बिना ही गुजर जाए
पता ऊपर दिया ही गया है
ईमेल करें या हमारे फेसबुक समूहों में रचना प्रकाशित
करें...
गीतों में-
पिछले माह
होली
के अवसर पर
गीतों में-
अनिल कुमार वर्मा,
अनिल कुमार मिश्र,
अमिताभ त्रिपाठी,
अलका प्रमोद,
अवनीश त्रिपाठी,
आकुल,
उमा प्रसाद लोधी,
ऋता शेखर मधु,
ओम प्रकाश नौटियाल,
कल्पना मनोरमा,
कुमार गौरव अजीतेन्दु,
कृष्ण भारतीय,
गरिमा सक्सेना,
गीता पंडित,
जगदीश पंकज,
निर्मल शुक्ल,
निशा कोठारी,
पंकज परिमल,
ब्रजनाथ श्रीवास्तव,
बसंत कुमार शर्मा,
भावना तिवारी,
मधु प्रधान,
मधु शुक्ला,
मनीषा शुक्ला,
मानोशी चैटर्जी,
योगेन्द्र प्रताप मौर्य,
रंजना गुप्ता,
रमेश प्रसाद सारस्वत,
राजा अवस्थी,
राहुल शिवाय,
राममूर्ति सिंह अधीर,
विश्वम्भर शुक्ल,
शशि पाधा,
शिव जी श्रीवास्तव,
शिवानंद सिंह सहयोगी,
श्रीधर आचार्य़ शील,
शैलेष गुप्त 'वीर',
संजीव सलिल।
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