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कुछ दिन
बीते |
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कुछ दिन बीते चंदन जैसे
कुछ दिन गुंगुवाये!
कुछ दिन यादों की चूनर के
लौट- लौट आये!
1
पुरवैया लहरा कर
बंद किवरिया खोल गयी
बड़े सबेरे आँगन मेरे
मैना बोल गयी
1
घर-आँगन चौपाल
दिवस का शैशव गहराए
1
उपवन-उपवन फूल खिले
धरती का आँचल धानी
सरगम टेरे पवन झकोरा
लहर उड़े मनमानी
1
नदिया बहती कलकल करती
प्रीत डगर बिखराये!
1
घन प्यारे कारे कजरारे
मन करते मतवारे
कभी बरसते हैं नयनों से
कभी किसी के द्वारे
1
कोई भीगे डूबे कोई
और कोई इतराये!
1
- श्रीधर आचार्य शील |
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इस माह
गीतों में-
अंजुमन में-
छंदमुक्त
में-
विविधा में-
स्मृति शेष
में-
पिछले माह
१ जनवरी
२०१९ को प्रकाशित नव वर्ष विशेषांक में
गीतों में
अनामिका
सिंह अना,
उमाप्रसाद लोधी,
उषा अवस्थी,
ओमप्रकाश नौटियाल,
कुमार गौरव अजीतेन्दु,
गरिमा
सक्सेना,
गिरिमोहन गुरु पं.,
नीरज
द्विवेदी,
पंकज
परिमल,
प्रणव
भारती,
बसंत
शर्मा,
मधु
शुक्ला,
योगेन्द्र मौर्य,
रंजन कुमार झा,
राजेन्द्र वर्मा,
राजेन्द्र स्वर्णकार,
राहुल
शिवाय,
विश्वंभर शुक्ल प्रो.,
शशि पुरवार,
शिवानंद
सहयोगी,
श्रीधर
आचार्य शील,
सीमा
हरिशर्मा,
सुभाष
वसिष्ठ,
सौरभ
पांडेय,
त्रिलोक
सिंह ठकुरेला। दोहों
में-
ज्योतिर्मयी पंत, परमजीत
कौर रीत,
मंजु
गुप्ता,
मधु
प्रधान,
शैलेश
गुप्त वीर,
सुबोध, श्रीवास्तव। अंजुमन में-
कल्पना
रामानी,
रमा
प्रवीर वर्मा,
रूपम झा,
सुरेन्द्रपाल वैद्य,
हरिवल्लभ शर्मा हरि। छंदमुक्त में-भावना
सक्सेना,
मंजुल
भटनागर,
रंजना
गुप्ता
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