नया साल आने वाला है

 

 

 

नया साल आने वाला है

दादी ने चूल्हे सुलगाये
अम्मा ने गुलगुले बनाये
आलू भरे पराठे सेंके
दीदी जीरा हींग मिलाये
किसको दे किसको बहलाये
पूरा घर खाने वाला है
नया साल आने वाला है

दादा जी बैकुंठ धाम में
बड़े पिता जी पड़े घाम में
बाबू जी कुर्सी पर ऊँघें
छोटू गुल्ली डंडा चूमें
मैं किताब चाटूँ तो कैसे
सूरज कुछ गाने वाला है
नया साल आने वाला है

सबने छुट्टी दिवस मनाये
कुछ तो हफ्ते बाद नहाये
भाभी ने छत की रेलिंग पर
कुछ लिहाफ गद्दे फैलाये
आज धूप है चटक मगर क्या
कल कोहरा छाने वाला है
नया साल आने वाला है

- उमा प्रसाद लोधी      
१ जनवरी २०१९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter