खिली हैं कलियाँ
 

 

 

खिली हैं कलियाँ, खिला है गुलशन, लो रंग छाया नया नया है
नई सुबह का हसीं तराना जो सबनें गाया नया नया है

मिटा के नफरत मुहब्बतों के चराग दिल मे जलाए रखना
खुशी मनाओ भुला के सब गम, कि साल आया नया नया है

छँटे निराशा के सारे बादल, ख़ुशी के सूरज नें दी है दस्तक
सभी की आँखों में ख्वाब उम्मीदों नें जगाया नया नया है

हवाओं बदलों दिशाएँ अपनी यही गुजारिश है आज दिल की
अँधेरी राहों में दिल नें कोई दिया जलाया नया नया है

न कोई आँधी न कोई तूफां फ़िज़ां की रंगत है निखरी निखरी
कि जाफरानी सी खुशबूओं में ये दिल नहाया नया नया है

न बात करना वही पुरानी न आजमाना वफा हमारी
लो पत्थरों को भी काटकर हमनें घर बनाया नया नया है

नए फ़साने,नए तराने, नई नई है दिलों मे उलफत
रमा जो अब तक था राज़ दिल में तुम्हें बताया नया नया है

- रमा प्रवीर वर्मा    
१ जनवरी २०१९

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