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हो नये साल में हाल नया |
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हो नये साल में हाल नया
वो खुशियाँ लाये साल नया
जब महलों में जगर-मगर हो
कुटियों में भी दीप जले
काम मिले सबके हाथों को
मन में सबके प्रेम पले
बदले फटी हुई बरसाती
हर छत पर हो तिरपाल नया
भ्रष्टाचारी दर-दर भटकें
सड़े तिजोरी में काला धन
कीचड़ में भी खिलें कमल से
रहते हैं जिनके उजले मन
स्वागत में चौपाल सजें सब
हों नये गीत सुर ताल नया
तलवारों की धार कुंद हो,
रहे न कड़वाहट ख़बरों में
फसल उगे भाईचारे की
हो न तनाव गाँव, नगरों में
जो कुछ बुरा हुआ भूलें सब
फिर पैदा हो न वबाल नया
अब विकास की दौड़ तेज हो
सबसे आगे मेरा वतन हो
पंछी की ऊँची उड़ान को
स्वच्छ और उन्मुक्त गगन हो
आकर कोई नया शिकारी,
अब बिछा न पाए जाल नया
- बसंत शर्मा
१ जनवरी २०१९ |
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