नये वर्ष में

 

 

 

नये वर्ष में जा़री रक्खें
उम्मीदों की चहल-पहल

नये वर्ष में नया बहुत कुछ
आओ देखें आँखों से
उड़ने को तैयार रहें हम
अपने मन की पाखों से
तोड़ आज प्रतिबंध कोह का
झाँक रहे किरणों के दल

उम्मीदों की चिड़ियाँ चहकें
मन में नव उत्साह लिये
आगे हमसब बढ़ते जायें
नई जीत की चाह लिये
आओ मिलकर आज लगाएँ
खुशियों की दो-चार फसल

हाय! हाय! करते रहने से
कब किसने कुछ पाया है
पीट लकीरें केवल हमने
खुद को ही भरमाया है
श्रम से ही बस हो पायेगा
सिर्फ सुनहरा अपना कल

- गरिमा सक्सेना
१ जनवरी २०१९

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