नया दिन

 

 

 

एक नया दिन
और
बदला समय
सूर्य निकला पूर्व से
और स्वर्ण की नदियाँ बही
थाम करके बाजुओं में रात को
गुम हुआ आखिरी तारा
सुबह का
एक दिन बासी हुआ।

फिर गठा नव मन्त्रिमण्डल
आतिशी दिनमान का
लू थपेड़ों का समय तय हो गया
पंचांग से गृह नक्षत्रों की कलम से
ज्योतिषियों ने भाग्य
दिन भर का गढ़ा
रश्मि रथ के सात घोड़ो पर
उजाले का सफर
लक्ष्य भेदी बाण से मध्यान तक।

स्याहियाँ
घनघोर जंगल में छुपी
तन नदी का सूख कर आधा हुआ।

धान की बाली में
दाना बन खिला
खेतिहर किसानों का पसीना
धूप ने इतिहास के पन्ने लिखे
तेज किरणों का हुआ मद्धम
तभी जब
अंकुरित कण कण हुआ
और
प्राण जन जन का हरा

- रंजना गुप्ता    
१ जनवरी २०१९

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