कुमार रवींद्र
जन्म-
१० जून १९४०, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में।
शिक्षा-
एम. ए. (अंग्रेज़ी साहित्य)
कार्यक्षेत्र-
अध्यापन- दयानंद कालेज, हिसार (हरियाणा)
के स्नातकोत्तर अँग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त।
हिंदी-अँग्रेज़ी दोनों भाषाओं में काव्य-रचना।
प्रकाशित कृतियाँ :
नवगीत संग्रह-
आहत है वन, चेहरों के
अंतरीप, पंख बिखरे रेत पर, सुनो तथागत, हमने संधियाँ कीं और रखो
खुला यह द्वार।
मुक्तछंद रचनाओं का संग्रह:
'लौटा दो पगडंडियाँ' काव्य नाटक: एक और कौंतेय, गाथा आहत
संकल्पों की, अँगुलिमाल, कटे अँगूठे का पर्व और कहियत भिन्न न
भिन्न।
यात्रावृत्त संग्रह-
और यह यायावरी मन की।
प्रमुख समवेत काव्य संकलन-
नवगीत संग्रह : 'नवगीत दशक-दो' - 'नवगीत अर्धशती' ( सम्पादक:
डा. शम्भुनाथ सिंह )
'यात्रा में साथ-साथ' ( सम्पादक: देवेन्द्र शर्मा 'इन्द्र' )
दोहा संग्रह : 'सप्तपदी-एक' ( सम्पादक : देवेन्द्र शर्मा
'इंद्र')
ग़ज़ल संग्रह : 'ग़ज़ल दुष्यंत के बाद' - खंड: एक ( सम्पादक:
दीक्षित दनकौरी)
'हिन्दुस्तानी गज़लें' ( सम्पादक: कमलेश्वर)
अन्य : 'बंजर धरती पर इन्द्रधनुष' ( सम्पादक:
कन्हैयालाल नंदन )
देश विदेश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अनेक
राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों व पुरस्कारों से विभूषित।
ई-मेल :
kumarravindra310@gmail.com
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अनुभूति में
कुमार रवींद्र
की रचनाएँ
गौरवग्रंथ में-
कच देवयानी (लंबी कविता)
गीतों में
अपराधी देव हुए
इसी गली के आखिर में
और दिन भर...
खोज खोज हारे हम
गीत तुम्हारा
ज़रा सुनो तो
पीपल का पात हिला
बहुत पहले
मेघ सेज पर
वानप्रस्थी ये हवाएँ
शपथ तुम्हारी
संतूर बजा
सुनो सागर
हम नए हैं
हाँ सुकन्या
संकलन में-
बरगद-
बरगद ठूँठ हुआ
खिलते हुए पलाश-
टेसू के फूलों वाले दिन
नयनन में नंदलाल-
टेर
रही कनुप्रिया
नयनन में नंदलाल-
वंशी
की धुन
नया साल-
वर्ष की पहली सुबह
नया साल-
तरीका नव वर्ष मनाने का
होली है-
दिन
वसंत के
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