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अनुभूति में कुमार रवींद्र की रचनाएं

नए गीत-
एक बच्चे ने छुआ
काश! पढ़ पाते
धुर बचपन की याद
बोल रहा घर

गीतों में
अपराधी देव हुए

इसी गली के आखिर में
और दिन भर...

खोज खोज हारे हम
गीत तुम्हारा

ज़रा सुनो तो
पीपल का पात हिला
बहुत पहले
मेघ सेज पर
वानप्रस्थी ये हवाएँ
शपथ तुम्हारी
संतूर बजा
सुनो सागर
हम नए हैं

हाँ सुकन्या

संकलन में-
बरगद- बरगद ठूँठ हुआ
खिलते हुए पलाश- टेसू के फूलों वाले दिन
नयनन में नंदलाल- टेर रही कनुप्रिया
नयनन में नंदलाल- वंशी की धुन
नया साल- वर्ष की पहली सुबह
नया साल- तरीका नव वर्ष मनाने का

होली है- दिन वसंत के

 

बहुत पहले

बहुत पहले
रोशनी का मंत्र हमने भी जपा था
बहुत पहले

इस अंधेरे नए युग में
मंत्र वह हो गया उल्टा
और किरणें भी हमारे सूर्य की
हो गईं कुलटा
बहुत पहले
बर्फ़ युग में भी हमारा घर तपा था
बहुत पहले

दीये की बाती हमारी
थी अलौकिक खो गई वह
हवन की जलती अगिन थी
हो गई है सुरमई वह
बहुत पहले
हाँ किसी अख़बार में भी यह छपा था
बहुत पहले

वक्त के जादूभरे
इस झुटपुटे में रंग खोए
जग गए वे दैत्य
जो थे रोशनी में रहे सोए
बहुत पहले
आँख से भी रोशनी का बहनपा था
बहुत पहले

1 मई 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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