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अनुभूति में कुमार रवींद्र की रचनाएँ

नए गीत-
एक बच्चे ने छुआ
काश! पढ़ पाते
धुर बचपन की याद
बोल रहा घर

गीतों में
अपराधी देव हुए

इसी गली के आखिर में
और दिन भर...

खोज खोज हारे हम
गीत तुम्हारा

ज़रा सुनो तो
पीपल का पात हिला
बहुत पहले
मेघ सेज पर
वानप्रस्थी ये हवाएँ
शपथ तुम्हारी
संतूर बजा
सुनो सागर
हम नए हैं

हाँ सुकन्या

 

मेघ सेज पर भी थे छाए

कल सपने में
नदी-पार के जंगल आए!

जंगल में थीं हँसती फिरतीं
वन कन्याएँ
साँस-साँस में उनके थीं
ऋतु की कविताएँ

वन के भीतर
खुली चाँदनी के थे साए

वहीं रात भर
इंद्रधनुष ने रंग बिखेरा
तुमने भी कनखी से हम पर
जादू फेरा

हाँ, सजनी
कल मेघ सेज पर भी थे छाए!

हम-तुम दोनों
नदी किनारे घूमे जी भर
बच्चे हमको दिखे बनाते
बालू के घर

हमने भी
आकाश-कुसुम थे वहीं खिलाए!

1 मई 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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