नये साल ने

 

 

 

नये वर्ष ने फिर से है
साँकल खटकाई

मन के भँवरे उपवन-उपवन
फूलों पर जाते
और नींद को फाँद आँख में
सपने अँखुआते
दूर फेंक दी आशाओं ने
आज रजाई।

नए वर्ष में रिश्ते मन के
झूला झूलेंगें
उड़ते-उड़ते आखिर हम भी
अंबर छू लेंगे
होगी दूर दुखों की
जीवन से परछाई।

पॉकेट में रक्खे गुलाब पर
तितली भी होगी
ऊजियारा भरने को हर-पल
बिजली भी होगी
चाह रहा हूँ नए वर्ष में
यही कमाई।

- राहुल शिवाय     
१ जनवरी २०१९

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