नवल वर्ष स्वागत करें

 

 

 

पर्व तीज त्योहार का, होता शिष्टाचार।
अपनापन बढ़ता रहे, लेन देन उपहार।।

नवल वर्ष स्वागत करें, धूम मचाकर खूब।
खुशिया बाँटे अनगिनत, मत स्वारथ में डूब।।

प्रेम नेह आदर भरा, जो भी दे उपहार।
श्रद्धा से स्वीकार कर, हो न मूल्य व्यापार।।

आने वाले साल हित, खूब सजे बाज़ार।
खूब सजी हैं वस्तुएँ, देने को उपहार।।

पहले मिलते थे कभी, भेंट जेब अनुसार।
स्वार्थ देख बंटने लगे, आज विविध उपहार।।

हुआ दिखावा प्रमुख अब, आपस का व्यवहार।
रिश्ते नाते भी बने, मूलभूत व्यापार ।।

नए वर्ष में हम करें, नवल विचार विमर्श।
औरों पर भी ध्यान दें, खुशियाँ बँटें सहर्ष।।

नया वर्ष सबकी करे, मनोकामना पूर्ण।
वसुधा एक कुटुंब का, ध्येय बने सम्पूर्ण।।

उम्मीदें फिर से बढ़ी, आते ही नव वर्ष।
आशान्वित मन हो रहे, खत्म सभी संघर्ष।।

नया साल उपहार दे, बारह मासी संग।
बीते कष्ट बिसार दे, हिय में भरे उमंग।।

- ज्योतिर्मयी पंत    
१ जनवरी २०१९

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