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खुशियों का उपहार |
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खिला-खिला सा लग रहा, यह
सारा संसार।
नया वर्ष ले आ गया, खुशियों का उपहार।।
जाने वाले साल यह, दे जाना उपहार।
आने वाले साल का, हर दिन हो त्यौहार।।
अबकी अम्मा को मिला, है मन-का उपहार।
छुट्टी पर घर आ गया, बेटा बाँटे प्यार।।
नए साल पर सज गया, है सारा बाज़ार।
निर्धन के बच्चे खड़े, ताक रहे उपहार।।
झूम रहे, इतरा रहे, नेताजी हर बार।
नए साल पर ला रहा, हर कोई उपहार।।
नये वर्ष में पूर्ण हो, सबका हर संकल्प।
खुशियों के आते रहें, हर दिन नये विकल्प।।
हमको क्यों देता कभी, कोई भी उपहार।
कहाँ फायदे का हुआ, हमसे कारोबार।।
नए साल का है यही, अच्छा इक उपहार।
बीती बातें भूलकर, सबको बाँटें प्यार।।
- सुबोध श्रीवास्तव
१ जनवरी २०१९ |
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