नये साल तुम

 

 

 

नये साल तुम कलरव वाली
इतराहट ले आना
आँगन के हर रिश्ते में
गरमाहट ले आना

दुर्दिन वाली काली छाया फिर
घिरने ना पाए
सोना उपजे खलियानों में
खुशहाली लहराए

सबकी किस्मत हो गुड़-धानी
नरमाहट ले आना
नये साल तुम कलरव वाली
इतराहट ले आना

हर मौसम में फूल खिलें पर
बंजर ना हो धरती
फुटपाथों पर रहने वाले
आशा कभी न मरती

धूप जलाए, नर्म छुअन सी
फगुनाहट ले आना
नये साल तुम कलरव वाली
इतराहट ले आना

ढोंगी कपटी लोगों के तुम
टेढ़े ढँग बदलना
बूढ़े घर की दीवारों के
फीके रंग बदलना

जर्जर होती राजनीति की
कुछ आहट ले आना
नये साल तुम कलरव वाली
आहट ले आना

भाग रहे सपनों के पीछे
बेबस होती रातें
घर के हर कोने में रखना
नेह भरी सौगातें

धुंध समय की गहराए पर
मुस्काहट ले आना
नये साल तुम कलरव वाली
इतराहट ले आना

- शशि पुरवार    
१ जनवरी २०१९

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