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अनुभूति में नीरज गोस्वामी की
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जिस पे तेरी नज़र
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तल्खियाँ दिल मे
तेरे आने की ख़बर
तोड़ना इस देश को
दिल का दरवाज़ा
दिल का मेरे
दिल के रिश्ते
नीम के फूल
पहले मन में तोल
फूल ही फूल

फूल उनके हाथ में जँचते नही
बात सचमुच
भला करता है जो
मान लूँ मै
मिलने का भरोसा
याद आए तो
याद की बरसातों में
याद भी आते क्यों हो
ये राह मुहब्बत की
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

वो ही काशी है वो ही मक्का है
साल दर साल

`

तल्खियाँ दिल में

तल्खियाँ दिल में न घोला कीजिए
गाँठ लग जाए तो खोला कीजिये

आप में कोई बुराई हो न हो
आप ख़ुद को नित टटोला कीजिये

दिल जिसे सुन कर दुखे हर एक का
सच कभी ऐसा न बोला कीजिये

प्यारी -प्यारी सी लगेगी जिंदगी
आप अपने दिल को भोला कीजिये

सोच में शबनम सी रखिये ताजगी
जोश को भड़के जो शोला कीजिये

प्यार की दिल में बजे जब बांसुरी
मस्तियों में झूम डोला कीजिये

अश्क 'नीरज' जी बड़े अनमोल हैं
सिर्फ खुश होने पे ढोला कीजिये

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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