भला करता है
जो
भला करता है जो सबका, नहीं बदले में कुछ पाये,
कहां पेड़ों को मिलते हैं, कभी ठंडे घने साये
रखा महफूज़ अपने ही, लिये तो खाक है जीवन
बहुत अनमोल है मिट कर, किसी के काम गर आये
करम जिसने किया मुझ पर, यकीनन गैर ही होगा
हुई ये सोच तब पुख्ता, सितम अपनों ने जब ढाये
जिधर देखे उधर सीमेंट का जंगल दिखे उसको
पड़ी है सोच में कोयल, कहां वो बैठ कर गाये
खुशी उसकी बयां करना, बहुत मुश्किल है लफ्जों में
अचानक से कोई दुश्मन,गले जिसको लगा जाये
तुझे दूँगा सभी कुछ आज, बोला कृष्ण ने हमसे
सुदामा की तरह चावल, अगर तू प्रेम से लाये
किया जब याद दिल से तब, यही चाहा कि वो "नीरज"
बहारों की तरह आये, घटाओं की तरह छाये
२० अप्रैल २००९
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