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अनुभूति में नीरज गोस्वामी की
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तेरे आने की ख़बर
तोड़ना इस देश को
दिल का दरवाज़ा
दिल का मेरे
दिल के रिश्ते
नीम के फूल
पहले मन में तोल
फूल ही फूल

फूल उनके हाथ में जँचते नही
बात सचमुच
भला करता है जो
मान लूँ मै
मिलने का भरोसा
याद आए तो
याद की बरसातों में
याद भी आते क्यों हो
ये राह मुहब्बत की
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

वो ही काशी है वो ही मक्का है
साल दर साल

`

लोग हसरत से हाथ मलते हैं

आँख से याद बन के ढलते हैं
वो जो हर साँस साथ चलते हैं

हम हैं काँटे ना कीजिए नफ़रत
हम भी फूलों के साथ पलते हैं

लुत्फ़ इसका भी पूछिए उनसे
लड़खड़ाकर के जो सँभलते हैं

वक्त आने पे आख़िरी देखा
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

सो गए जिन्न खो गई परियाँ
बच्चे ना इनसे अब बहलते हैं

सच की पुख्ता ज़मीन पे चलिए
देखिए फिर कहाँ फिसलते हैं

ग़म नहीं गर कहे बुरा दुनिया
अच्छे इंसां से लोग जलते हैं

जिस्म के साथ दिल नहीं थकता
कितने अरमां अभी मचलते हैं

ज़िंदगी भर क्या दौड़ना नीरज
आओ कुछ देर को टहलते हैं

24 जुलाई 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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