जिसपे तेरी नज़र
दोस्तों ने मुझे नवाज़ा है
घाव देखो अभी भी ताज़ा है
जब भी बोलेगा सर कलम होगा
सच का प्यारे यही तक़ाज़ा है
झूठ दूल्हे-सा सजके बैठा है
सच के हाथों में सिर्फ़ बाजा है
अब ये बाज़ार की ज़रूरत है
तोड़ लो हर कली जो ताज़ा है
यों तो हम सब यहाँ भिखारी हैं
जिसपे तेरी नज़र वो राजा है
जिसको सब देख मुसकुराते हैं
वो शराफ़त का ही जनाज़ा है
सिर्फ़ है बात प्यार की 'नीरज'
जब करो तब लगे के ताज़ा है
16 जुलाई 2006
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