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जड़ जिसने थी काटी
जहाँ उम्मीद हो ना मरहम की

जिस पे तेरी नज़र
झूठ को सच बनाइए साहब
तल्खियाँ दिल मे
तेरे आने की ख़बर
तोड़ना इस देश को
दिल का दरवाज़ा
दिल का मेरे
दिल के रिश्ते
नीम के फूल
पहले मन में तोल
फूल ही फूल

फूल उनके हाथ में जँचते नही
बात सचमुच
भला करता है जो
मान लूँ मै
मिलने का भरोसा
याद आए तो
याद की बरसातों में
याद भी आते क्यों हो
ये राह मुहब्बत की
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

वो ही काशी है वो ही मक्का है
साल दर साल

`

जड़ जिसने थी काटी

जड़ जिसने थी काटी प्यारे
था अपना ही साथी प्यारे

सच्चा तो सूली पर लटके
लुच्चे को है माफी प्यारे

उल्टी सीधी सब मनवा ले
रख हाथों में लाठी प्यारे

सोचो क्या होगा गुलशन का
माली रखते आरी प्यारे

इक तो राहें काँटों वाली
दूजे दुश्मन राही प्यारे

भोला कहने से अच्छा है
देदो मुझको गाली प्यारे

मन अमराई यादें कोयल
जब जी चाहे गाती प्यारे

तेरी पीड़ा से वो तड़पे
तब है सच्ची यारी प्यारे

तन्हा जीना ऐसा "नीरज"
ज्यों बादल बिन पानी प्यारे

१७ नवंबर २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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