कौन करता याद
जिस शजर ने डालियों पे फल भर दिए
उसको चुनचुन कर के लोगों ने बहुत पत्थर दिए
कौन करता याद है सच बात बिल्कुल दोस्तों
वो दीवाने ही हैं जो ये जान कर भी सर दिए
फूल देता है वो सबको क्या ग़ज़ब इंसान है
भूल जाता किसने उसको बदले में नश्तर दिए
प्यार गर जागा नहीं दिल में तेरे किसकी ख़ता
हर बशर को तो खुदा ने सैंकड़ों अवसर दिए
काटनी पंछी को थी पिंजरे में गर ये ज़िंदगी
क्यों मगर सैयाद ने फिर छोड़ ये कुछ पर दिए
रब नहीं देता है कुछ ख़ैरात में ये मान लो
नींद लेता उससे जिसको मखमली बिस्तर दिए
ज़िंदगी बख्शी खुदा ने इस तरह नीरज हमें
यों लगा जैसे की उसने खीर में कंकर दिए
24 जुलाई 2007
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