साल दर साल
साल दर साल ये ही हाल रहा
तुझसे मिलना बड़ा सवाल रहा
याद करना खुदा को भूल गए
नाम पर उसके बस बवाल रहा
ना सँभाला जो पास है अपने
जो नहीं उसका ही मलाल रहा
यों जहाँ से निकाल सच फेंका
जैसे सालन में कोई बाल रहा
क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की
जिनके दिल में तेरा खयाल रहा
ऐंठता भर के जेब में सिक्के
सोच में जो भी तंगहाल रहा
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
चाँद में देख प्यार की ताक़त
जब समंदर लहर उछाल रहा
५ मई २००८
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