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अनुभूति में नीरज गोस्वामी की
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खौफ का जो
दोस्त सब जान से भी
फिर परिंदा चला
बरसती घटा में

दोहों में-
मूर्खता के दोहे

अंजुमन में-
आए मुश्किल
उन्हीं की बात होती है

कभी ऐलान ताकत का
कहानी में
कुछ क़तए
कुछ रुबाइयाँ
कौन करता याद
कौन देता है कौन पाता है
गर हिम्मत हो
गीत तेरे

जड़ जिसने थी काटी
जहाँ उम्मीद हो ना मरहम की

जिस पे तेरी नज़र
झूठ को सच बनाइए साहब
तल्खियाँ दिल मे
तेरे आने की ख़बर
तोड़ना इस देश को
दिल का दरवाज़ा
दिल का मेरे
दिल के रिश्ते
नीम के फूल
पहले मन में तोल
फूल ही फूल

फूल उनके हाथ में जँचते नही
बात सचमुच
भला करता है जो
मान लूँ मै
मिलने का भरोसा
याद आए तो
याद की बरसातों में
याद भी आते क्यों हो
ये राह मुहब्बत की
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

वो ही काशी है वो ही मक्का है
साल दर साल

`

गर हिम्मत हो

गर हिम्मत हो तो बदलो
मत कोसो यूं किस्मत को

प्यार वफ़ा इन्साफ दया
किस दुनिया में रहते हो

छोडो मज़हब की बातें
तुम भूखे को रोटी दो

देश जले नेता खेलें
अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो

देखो हाल सियासत का
लगती है सर्कस का शो

उसको बरकत मिलती है
बिन मांगे ही देता जो

''नीरज" नश्वर जीवन में
क्या तेरा 'ये' मेरा 'वो'





 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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