फूल ही फूल
ज़िक्र तेरा जहाँ गया होगा
रंग-ओ-खुशबू बिखर गया होगा
हँस रहा है, बता क्यों दीवाना
तुझसे मिलकर निखर गया होगा
नूर चेहरे का, साफ़ कहता है
ख़्वाब रंगों से भर गया होगा
फूल ही फूल हैं, हर स्मित खिले
तू यहाँ से गुज़र गया होगा
उसने गर दिल लगा लिया तुमसे
फिर तो बेमौत मर गया होगा
हाले दिल उनसे कब बयान करूँ
सोच के ही सिहर गया होगा
जब से वो, बोलने लगा है सच
दिल से सब के उतर गया होगा
था तो मज़बूत, मर गया लेकिन
कत्ल अपना ही, कर गया होगा
बोलते भी तो उससे क्या 'नीरज'
मिलके ही दिल ये भर गया होगा
16 जुलाई 2006
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