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एक प्याली
चाय पीते हैं |
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और थोड़ी देर तुमको
साथ अपने रोकना है
क्या करें?
हाँ चलो!
एक प्याली चाय पीते हैं
प्यालियों में
चम्मचों की
ताल पर
एक दूजे का खनकता
नाम लें
चुस्कियाँ दर चुस्कियाँ
इस शाम को
और थोड़ा और थोड़ा
थाम लें
मौन रह कर ही हमें सब
आज तुमसे बोलना है
क्या करें?
हाँ चलो!
एक प्याली चाय पीते हैं
पारदर्शी भाप के
इस पार हम
और हमको देखते
उस पार तुम
रंग-ख़ुशबू के सुनहरे
द्वीप पर
तुम रहो उस पार
हम इस पार गुम
इसी जादू में हमें
उन्मत्त हो कर डोलना है
क्या करें?
हाँ चलो!
एक प्याली चाय पीते हैं
रोक लेना है हमेशा
के लिए
होंठ पर ठहरी मिठासों
को हमें
जो थमेंगी चाय की
हर घूँट पर
है संजोना उन्हीं श्वासों
को हमें
बंधनो की उँगलियों से
बंधनो को खोलना है
क्या करें?
हाँ चलो!
एक प्याली चाय पीते हैं
- सीमा अग्रवाल
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इस माह
चाय विशेषांक के
अंतर्गत
गीतों में-
अंजुमन
में-
छंदों
में-
छंदमुक्त
में-
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