|
कुल्लड़ वाली चाय की, सोंधी सोंधी गंध
और इलाइची साथ में, पीने का आनंद
कागज कलम दवात हो और साथ में चाय
फुरती तन मन भरे, भाव खिले मुस्काय
गप्पों का बाजार है, मित्र मंडली संग
चाय पकौड़े के बिना, फीके सारे रंग
मौसम सैलानी हुए रोज बदलते गाँव
बस्ती बस्ती चाय की, टपरी वाली छाँव
सुबह सवेरे लान मे, बाँच रहे अखबार
गर्म चुस्कीयाँ चाय की, खबरों का दरबार
अदरक तुलसी लाइची, और पुदीना भाय
बिना दूध की चाय है, गुण औषध बन जाय
घर घर से उड़ने लगी, सुबह चाय की गंध
उठो सवेरे काम पर, जीने की सौगंध
- शशि पुरवार
१ जुलाई २०२०
|