तुम ज्यों मेरी चाय

 

 
सारे दिन की थकन मिटाते
तुम ज्यों मेरी चाय

बातों में अक्सर परोसना
मीठे सँग नमकीन
कितनी ख़ुशियाँ भर देते हैं
फ्लेश बैक के सीन

मुस्कानों का तुम बन जाते
हो अक्सर पर्याय

कितना कुछ हल कर देती है
अदरक जैसी बात
लौंग इलायची बन जाते हैं
प्रेम भरे जज्बात

जितनी भी जो भी शिकायतें
हो तुम सबका न्याय

तुम बिन कहाँ शाम भर पाती
इस मन में उल्लास
सच पूछो तो मेरे होने
का तुम हो आभास

पल दो पल जो साथ मिल रहे
वह ही मेरी आय

- गरिमा सक्सेना
१ जुलाई २०२०

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