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ले प्याली में चाय
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पल भर में ही जानली, मैंने तेरी राय।
जब-जब बैठे यार हम, ले प्याली में चाय।।
चाय पकौड़े संग हो, और आये बरसात।
सौंधी-सौंधी गंध से, महक उठे हर गात।।
दिन की होती चाय से, घर-घर में शुरुआत।
और बहाने चाय के, कितनी करते बात।।
अँगड़ाई ली भोर ने, आया नवल प्रभात।
अदरक कुटती चाय की, पूछ रही अनुपात।।
पत्ती, पानी दूध संग, अदरक डाली कूट।
प्याली भर हम चाय पर, सब गिरते हैं टूट।।
बैठ चाय पर कर रहे , युगल प्रेम इजहार।
सस्ता, सरल उपाय है, जो करते हैं प्यार।।
मसलों को हल कर रही, प्याली भर यह चाय।
जाने कितने है छिपे, इसमें सुगम उपाय।।
कभी-कभी तो उठ गये, प्यालों में तूफान।
नेह निमंत्रण जब दिया, हमने अपना मान।।
चाय जरूरत बन गई, हर पीढ़ी की आज।
स्वागत कर मेहमान का, समझे धन्य समाज।।
महिमा अब हम चाय की, कैसे करें बखान।
चुस्की भर अब चाय सच, बढ़ा रही है मान।।
- सुरेन्द्र कुमार शर्मा
१ जुलाई २०२०
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