पौ फटते ही

 
पौ फटते ही जले अँगीठी और चढ़ जाती चाय
खुश्बू से ही घरवालों की नींद उड़ाती चाय
..
दादाजी बीड़ी सुलगाये
दादी छोड़ बिछौना आये
बैठे ले अखबार पिताजी
सबको ताजी खबर सुनाये

पीते पीते चाय भोर की सब करते शुरुआत
नींद उड़ाकर सबका आलस दूर भगाती चाय

कोई पीता नींबू वाली
कोई दूध की कोई काली
अगर जरा सी अदरख डालो
तो बन जाती बात निराली

बिस्किट हो या टोस्ट साथ में या भुजिया नमकीन
साथ सभी के तालमेल भी खूब बिठाती चाय

अगर जोर की बारिश आये
ठंडा मौसम हमें सताये
चिंता हो या उलझन कोई
तलब चाय की तब लग जाये

ऐसे में फिर कड़क चाय का जादू आता काम
मिटा थकावट ऊर्जा का अहसास कराती चाय

गर्म पकौड़े और समोसे
खट्टी चटनी साथ परोसे
मित्रों के संग जमकर खाओ
सेहत छोड़ो राम भरोसे

बातचीत का दौर चले तो रखना इतना याद
रिश्तों के हर बंध सदा मजबूत बनाती चाय

- रमा प्रवीर वर्मा
१ जुलाई २०२०

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