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बस अड्डे के नुक्क्ड़ वाली
सुबह सुबह की चाय
देश विदेश कहाँ क्या गुजरा
कैसा राज समाज
'नवजीवन' ले हाथ ताकते
हैं 'कौमी आवाज'
नमक लगाकर 'कट' जो माँगी
धरी-धरी ठंडाय
पाले पाले विचरण करते
नाम धरे सन्तोषी
मुँह-अँधियारे बोतल बाँटें
घर-घर बल्लू घोषी
अबकी मुर्रा भैंस जितायें
या नागौड़ी गायकाम-धाम छत्तीसी नाता
घूमें, छाने बूटी
खाक छानते सड़कों सड़कों
ढूढें, बीरबहूटी
हरदम कोरी लफ्फाजी पर
कैसे जग पतियाय
- अनिल कुमार वर्मा
१ जुलाई २०२०
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