सुबह की धूप और चाय

 
एक मेज दो कुर्सियाँ
दो कप चाय
मैं और तुम

मेज पर रखी चाय
केवल चाय नहीं है
चाय के साथ है
अतीत की कुछ यादें
खट्टी मीठी
वर्तमान के गुलदस्ते में सजे
रंग-बिरंगे फूल-
पत्तियों संग कुछ
कंटीले शब्द
कुछ किताबें पेन कापियाँ
इस इंतजार में कि
चाय के साथ उभर
आयें कुछ रंग
कड़क तुम्हारे जैसा

बिगड़ सकता है स्वाद
चाय का
अगर माप न हो सही
चीनी और दूध का
ज्यों जीवन के उलझे हुये
सुख-दुख के प्रश्न

चाय केवल चाय नहीं है
एक अहसास है
चाय भरती है देह में
एक जिजीविषा आवेग
उत्कंठा
चाय है सुबह की धूप
भर देती है ऊर्जा
अलसायी सुबह में ज्यों
सूर्य किरण.....

- श्रीधर आचार्य "शील"
१ जुलाई २०२०

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