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अर्थ शब्दों में नहीं तुम्हारे भीतर है
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एक गरम दिन की स्मृति
किताब का दिन
कोई बात
कुआँ
कुछ कहना
कुछ भी
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चिड़िया
चिमनी
चींटी तथा अन्य छोटी कविताएँ
टेलीफोन
डरौआ
तीसरा युद्ध
धोबी
पतझर एक मौसम तुम्हारे लिए
पतझर में
पानी का चेहरा
फिलिप्स का रेडियो
फोटोग्राफ़ में
बड़ा काम
बोध
माया
मैं
राख
सड़क का रंग

संकलनों में—
गुच्छे भर अमलतास - ग्रीष्म
सनटैन लोशन
१५ मई
पिता की तस्वीर - डाक

  तदुपरांत

उतना ही मुझे बोलना है जितना मैं कह सकूँ
मैं तैयार हूँ
सुनने के लिए यह सोचकर

कितना और समय बाकी है मैंने गिने नहीं
कि वे घटे नहीं
बढ़े नहीं दिन अतीत के
उन्हें भविष्य का बता कर

मैं उतना ही लिखूँगा
जितना थक सकूँ इस जीवन से
सौ शरदों के तदोपरांत
कुछ बेहतर हो यहाँ यह मान कर

किसी के लिए गड्डा नहीं खोदता हर वाक्य में
मैं कुँआ ही खोदता हूँ अपनी भाषा के मरूथल में
हर रोज पानी के लिए
बंजर शब्दकोश में जल की आशा में

इतना कितना मैं और तुम
हर बात में परखता निशानदेही के लिए
कुछ सच यहाँ दो झूठ वहाँ अपने अँधेरों में,
वहाँ अब एक रोशनी की शिनाख़्त होना जरूरी है

१ दिसंबर २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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